बैरागी मन

मन कुछ उदास है
शायद कुछ बात है

सोच में कुछ ये डूबा है
क्या सच्चा है क्या झूठा है

खुद ही खुद से अब रूठा है
चैन किसी ने लूटा है

कुछ बात है शायद कहने को
जो कहना शायद मुश्किल है

खुद ही को समझा लेना
लगता अब सबसे बेहतर है

कहने को तो कह दे फिर भी
सुनने वाला सुन भी ले

क्या वो तुमको समझ सकेगा
ये भी कहना मुश्किल है

मन तो जैसे बैरागी
कर ना पाए सबको राजी ।

संघर्ष

अच्छा ही हुआ ये दौर आया
संघर्ष में जीने का मज़ा ही कुछ और आया

सीख लिया एक पल में सब कुछ
जो सीख न पाते जीवन मे सचमुच

कुछ कर जाने की चाह में
बहुत कुछ पाने की राह में

चलते रहे कदम
अथक बढ़ते गए

गिरते रहे , पर सम्हलते गए
थमते रहे, पर उठते गए

वो आखों में आशा की धूप
बातों में कुछ कर दिखाने की भूख

आसां नही था कुछ कर जाना
पर मेहनत बिना हार क्यो मानना

गर दौर ये नही आता
सीख कुछ नही पाता

अच्छा ही हुआ ये दौर आया
संघर्ष में जीने का मज़ा ही कुछ और आया।

ज़रूरी नही..

जरूरी नही, हर बात का मतलब हो
जरूरी ये भी नही, हर बात का मकसद हो

जरूरी नही , मौन अर्थहीन हो
जरूरी ये भी नही , हर साज़ में गीत हो

जरूरी नही , होनी को होना ही है
जरूरी ये भी नही , अनहोनी कभी हो ही नही

जरूरी नही , अच्छे में सच्चाई ही हो
जरूरी ये भी नही , झूठ में हमेशा बुराई ही हो

मान्यताएं हमेशा सत्य नही होती
किसी के न माने जाने पे विवश नही होती।

तलाश

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तलाश जारी है
क्या पाना है
कहां जाना है
तलाश जारी है

कौन सी राह चलना है
किस मोड़ से गुजरना है
तलाश जारी है

क्या हार है,क्या जीत है
क्या जीवन का संगीत है
तलाश जारी है

क्या सही है
क्या गलत है
तलाश जारी है

क्या हो रहा
क्यों हो रहा
तलाश जारी है

चल रहे हैं पाँव ये
ठहरना कहाँ है
तलाश जारी है।

अरमान

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अरमान हज़ारो आंखों में
क्षणभंगुर है जीवन ये

सपनो को पाने की चाह
कुछ यूँ बढ़ती जाती है

सब बातों को बिसरा के
खुद में ही रमती जाती है

कुछ सूझ नही रह जाती है
कुछ बात समझ न आती है

सच बात है ये
जो कही गयी

जब नाश मनुज पर छाता है
पहले विवेक मर जाता है

सपनो का होना गलत नही है
हासिल करने की चाह, गलत नही है

बस ध्यान रहे, इस बात का प्यारे
परिवर्तन ही जीवन है

भूत न फिर से आने वाला
भविष्य का न कुछ कर पाने वाला

आज है जो
वो कल न होगा

जो आज नही है
कल हो भी सकता

वर्तमान क्यो व्यर्थ करे
इस होने और न होने की कोलाहल में

चलो बनाये एक सार्थक जीवन
इस बहुमूल्य सपनो को जी कर।

आस

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समय की रेत फिसलती हुई
और मेरी उम्र ढलती हुई

बैठा हूँ इस आस में
अपनी मिट्टी में जा पाउँगा

वो महकती धूप
और आंखों में ख्वाहिश की भूख

वो वर्षा की बूंदें
और लहलहाती फसले

वो जीवन मे राग
और अपनो का साथ

जो अपने गांव में था
वो कही क्या मिल पायेगा

बैठा हूँ इस आस में मैं
की अपने घर कब जा पाऊंगा।

बारिश की बूंदें

images (1)

कितनी प्यारी है बारिश की बूंदे
इनमे भीग के देखो

बैठे हो क्यों छाँव में तुम
बाहर निकलो और झूम के देखो

लम्हे कितने सारे प्यारे
उनको फिर से जी के देखो

निकलो तुम इस सोच समझ से
बच्चो सा तुम बन कर देखो

मिट्टी की ये भीनी खुशबू
रग में तेरे घुल जाएगी

कर देगी दीवाना फिर से
फिर से साँसों में बस जाएगी।